अमेरिका-चीन की ट्रेड पॉलिसी से भारत के पूर्व राजदूत ने किया अलर्ट, पाकिस्तान को लेकर कही बड़ी बात

Former Indian Ambassador Seshadri on China US Trade Policies: हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है. भूराजनीतिक तनाव के बीच ट्रंप के हाई टैरिफ ने कई देशों की इकोनॉमी को भारी नुकसान पहुंचाया है. ऐसे में भारत के पूर्व राजदूत वी.एस. शेषाद्री ने वाशिंगटन और बीजिंग दोनों की नीतियों की कड़ी आलोचना की है. पूर्व भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी रहे शेषाद्री, जिन्होंने स्लोवेनिया और म्यांमार में भारत के दूत के रूप में कार्य किया है, ने कहा कि अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी में अनिश्चितता और एकतरफा कार्रवाइयों के साथ चीन की आर्थिक वर्चस्व की कोशिश और दुनियाभर में प्रौद्योगिकी प्रभुत्व की दौड़ ने ग्लोबल ट्रेड सिस्टम को हिला कर रख दिया है. चीन-अमेरिका की नीति से अशांति शेषाद्री ने “अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून: चुनौतियां एवं दृष्टिकोण” विषय पर इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च में व्याख्यान के दौरान कहा कि इन घटनाक्रमों ने वैश्विक व्यापार के लिए आवश्यक पूर्वानुमान और स्थिरता को कमजोर किया है. उन्होंने अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU) और चीन की रणनीतियों और भारत पर उनके प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया. गौरतलब है कि वैश्विक व्यापार में अमेरिका, ईयू और चीन की करीब 42 प्रतिशत हिस्सेदारी है. अमेरिका की नीतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिका ने एकतरफा उपायों का विस्तार किया है और “जवाबी शुल्क” की आड़ में मुक्त व्यापार समझौते (FTA) भागीदारों पर भी टैरिफ लगाया है. ट्रंप की एकतरफा कार्रवाइयां इंटरनेशनल ट्रेड एक्सपर्ट शेषाद्री के अनुसार, इन कदमों का इस्तेमाल अब न केवल व्यापार संतुलन और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है, बल्कि आर्थिक सुरक्षा, आव्रजन नियंत्रण, रूसी तेल के खरीदारों को दंडित करने और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने जैसे व्यापक लक्ष्यों के लिए भी किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा थोपे गए द्विपक्षीय समझौते अक्सर साझेदार देशों को अमेरिका से ऊर्जा, कृषि और रक्षा आयात करने के लिए बाध्य करते हैं, जबकि बदले में केवल आंशिक टैरिफ कटौती की पेशकश की जाती है. ये व्यवस्थाएँ विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के विपरीत हो सकती हैं. पाकिस्तान पर परोक्ष टिप्पणी पाकिस्तान का नाम लिए बिना शेषाद्री ने कहा, “एक पड़ोसी देश ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते की आड़ में अपने संसाधनों को अमेरिका को सौंपकर एक आत्मघाती रास्ता चुना है.” उन्होंने आपातकालीन उपायों के तहत टैरिफ लगाने की राष्ट्रपति की शक्तियों के खिलाफ अमेरिका में चल रही कानूनी चुनौती का भी उल्लेख किया और इसे “सबसे महत्वपूर्ण व्यापार मामला” बताया, जिस पर अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा.

Sep 27, 2025 - 13:06
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अमेरिका-चीन की ट्रेड पॉलिसी से भारत के पूर्व राजदूत ने किया अलर्ट, पाकिस्तान को लेकर कही बड़ी बात

Former Indian Ambassador Seshadri on China US Trade Policies: हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है. भूराजनीतिक तनाव के बीच ट्रंप के हाई टैरिफ ने कई देशों की इकोनॉमी को भारी नुकसान पहुंचाया है. ऐसे में भारत के पूर्व राजदूत वी.एस. शेषाद्री ने वाशिंगटन और बीजिंग दोनों की नीतियों की कड़ी आलोचना की है.

पूर्व भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी रहे शेषाद्री, जिन्होंने स्लोवेनिया और म्यांमार में भारत के दूत के रूप में कार्य किया है, ने कहा कि अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी में अनिश्चितता और एकतरफा कार्रवाइयों के साथ चीन की आर्थिक वर्चस्व की कोशिश और दुनियाभर में प्रौद्योगिकी प्रभुत्व की दौड़ ने ग्लोबल ट्रेड सिस्टम को हिला कर रख दिया है.

चीन-अमेरिका की नीति से अशांति

शेषाद्री ने “अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून: चुनौतियां एवं दृष्टिकोण” विषय पर इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च में व्याख्यान के दौरान कहा कि इन घटनाक्रमों ने वैश्विक व्यापार के लिए आवश्यक पूर्वानुमान और स्थिरता को कमजोर किया है. उन्होंने अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU) और चीन की रणनीतियों और भारत पर उनके प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया.

गौरतलब है कि वैश्विक व्यापार में अमेरिका, ईयू और चीन की करीब 42 प्रतिशत हिस्सेदारी है. अमेरिका की नीतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिका ने एकतरफा उपायों का विस्तार किया है और “जवाबी शुल्क” की आड़ में मुक्त व्यापार समझौते (FTA) भागीदारों पर भी टैरिफ लगाया है.

ट्रंप की एकतरफा कार्रवाइयां

इंटरनेशनल ट्रेड एक्सपर्ट शेषाद्री के अनुसार, इन कदमों का इस्तेमाल अब न केवल व्यापार संतुलन और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है, बल्कि आर्थिक सुरक्षा, आव्रजन नियंत्रण, रूसी तेल के खरीदारों को दंडित करने और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने जैसे व्यापक लक्ष्यों के लिए भी किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा थोपे गए द्विपक्षीय समझौते अक्सर साझेदार देशों को अमेरिका से ऊर्जा, कृषि और रक्षा आयात करने के लिए बाध्य करते हैं, जबकि बदले में केवल आंशिक टैरिफ कटौती की पेशकश की जाती है. ये व्यवस्थाएँ विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के विपरीत हो सकती हैं.

पाकिस्तान पर परोक्ष टिप्पणी

पाकिस्तान का नाम लिए बिना शेषाद्री ने कहा, “एक पड़ोसी देश ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते की आड़ में अपने संसाधनों को अमेरिका को सौंपकर एक आत्मघाती रास्ता चुना है.” उन्होंने आपातकालीन उपायों के तहत टैरिफ लगाने की राष्ट्रपति की शक्तियों के खिलाफ अमेरिका में चल रही कानूनी चुनौती का भी उल्लेख किया और इसे “सबसे महत्वपूर्ण व्यापार मामला” बताया, जिस पर अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा.

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