भारत के खिलाफ तनाव में यूं ही नहीं तुर्किए ने दिया पाकिस्तान का साथ, इसके पीछे छिपा है ये बड़ा खेल

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुई आतंकी घटना का सीधा तार सीमा पार से जुड़ा. इसके बाद भारत ने जबरदस्त एक्शन लेते हुए पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले क्षेत्र में ऑपरेशन सिंदूर चलाकर 7 मई को वहां के 9 आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया. इतना ही नहीं उन आतंकियों के समर्थन में खुलेआम आने पर भारत ने सैन्य कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के एयरबेस और दूसरे ठिकानों पर भी जोरदार हमला बोला. इन सबके बीच जिस तरह से तुर्किए ने भारत के साथ तनाव में पाकिस्तान का साथ दिया है, उसके बाद से ये लगातार सवाल उठ रहा है कि आखिर मुस्लिम बहुल तुर्किए ने ही क्यों पाकिस्तान का इस तरह साथ दिया, जबकि ईरान से लेकर और खाड़ी के कई संपन्न देश हैं, जो इस तरह तुर्किए जैसा कदम नहीं उठाया. तुर्किए की छिपी मंशा दरअसल, अपने आपको पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त बताने वाले तुर्का के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन का इस तरह सामने आने के पीछे उसकी बड़ी शातिर मंशा छिपी हुई है. तुर्क डिफेंस के क्षेत्र में तेजी के साथ वैश्विक मानचित्र पर खुद को मजबूती के साथ अपने आपको खड़ा कर रहा है. वह दुनिया का ग्यारवां सबसे बड़ा डिफेंस एक्सपोर्टर बन गया है.  एक रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्किए का 2014 से 2018 की तुलना में 2019 से 2023 के बीच हतियार का निर्यात दोगुना हो चुका है. यानी ऐसे समझिए कि 2019 से 2023 के बीच उसके डिफेंस एक्सपोर्ट में करी 106 फीसदी का भारी भरकम इजाफा हुआ है. हथियार में तुर्किए करना चाहता है विस्तार डिफेंस एक्सपोर्ट की बात करें तो जो 10 देश तुर्किए से आगे है वो है- फ्रांस, अमेरिका, रूस, इटली, दक्षिण कोरिया, चीन, जर्मनी, स्पेन, इजरायल और ब्रिटेन. ऐसे में तुर्किए का मकसद सिर्फ पाकिस्तान को मदद करना सिर्फ रणनीतिक भर नहीं है, बल्कि वो एक तरफ पाकिस्तान की मदद कर उसे दोस्ती तो बढ़ा ही रहा है, साथ ही अपने डिफेंस के बाजार को भी बढ़ा रहा है. तुर्किए ने सबसे ज्यादा हथियार संयुक्त अरब अमीरात को बेचा हैं, इसके बाद कतर और उसके बाद पाकिस्तान को बेचा है. इसलिए, पाकिस्तान को तुर्किए की तरफ से हथियार देने का उसका असल मकसद कुछ और है. ये भी पढ़ें: देश का व्यापार घाटा अप्रैल में बढ़कर 26.42 अरब डॉलर हुआ, निर्यात में 9 प्रतिशत की उछाल

May 16, 2025 - 08:31
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भारत के खिलाफ तनाव में यूं ही नहीं तुर्किए ने दिया पाकिस्तान का साथ, इसके पीछे छिपा है ये बड़ा खेल

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुई आतंकी घटना का सीधा तार सीमा पार से जुड़ा. इसके बाद भारत ने जबरदस्त एक्शन लेते हुए पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले क्षेत्र में ऑपरेशन सिंदूर चलाकर 7 मई को वहां के 9 आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया. इतना ही नहीं उन आतंकियों के समर्थन में खुलेआम आने पर भारत ने सैन्य कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के एयरबेस और दूसरे ठिकानों पर भी जोरदार हमला बोला.

इन सबके बीच जिस तरह से तुर्किए ने भारत के साथ तनाव में पाकिस्तान का साथ दिया है, उसके बाद से ये लगातार सवाल उठ रहा है कि आखिर मुस्लिम बहुल तुर्किए ने ही क्यों पाकिस्तान का इस तरह साथ दिया, जबकि ईरान से लेकर और खाड़ी के कई संपन्न देश हैं, जो इस तरह तुर्किए जैसा कदम नहीं उठाया.

तुर्किए की छिपी मंशा

दरअसल, अपने आपको पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त बताने वाले तुर्का के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन का इस तरह सामने आने के पीछे उसकी बड़ी शातिर मंशा छिपी हुई है. तुर्क डिफेंस के क्षेत्र में तेजी के साथ वैश्विक मानचित्र पर खुद को मजबूती के साथ अपने आपको खड़ा कर रहा है. वह दुनिया का ग्यारवां सबसे बड़ा डिफेंस एक्सपोर्टर बन गया है. 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्किए का 2014 से 2018 की तुलना में 2019 से 2023 के बीच हतियार का निर्यात दोगुना हो चुका है. यानी ऐसे समझिए कि 2019 से 2023 के बीच उसके डिफेंस एक्सपोर्ट में करी 106 फीसदी का भारी भरकम इजाफा हुआ है.

हथियार में तुर्किए करना चाहता है विस्तार

डिफेंस एक्सपोर्ट की बात करें तो जो 10 देश तुर्किए से आगे है वो है- फ्रांस, अमेरिका, रूस, इटली, दक्षिण कोरिया, चीन, जर्मनी, स्पेन, इजरायल और ब्रिटेन. ऐसे में तुर्किए का मकसद सिर्फ पाकिस्तान को मदद करना सिर्फ रणनीतिक भर नहीं है, बल्कि वो एक तरफ पाकिस्तान की मदद कर उसे दोस्ती तो बढ़ा ही रहा है, साथ ही अपने डिफेंस के बाजार को भी बढ़ा रहा है. तुर्किए ने सबसे ज्यादा हथियार संयुक्त अरब अमीरात को बेचा हैं, इसके बाद कतर और उसके बाद पाकिस्तान को बेचा है. इसलिए, पाकिस्तान को तुर्किए की तरफ से हथियार देने का उसका असल मकसद कुछ और है.

ये भी पढ़ें: देश का व्यापार घाटा अप्रैल में बढ़कर 26.42 अरब डॉलर हुआ, निर्यात में 9 प्रतिशत की उछाल

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