5 दिन में 16 लाख करोड़ का नुकसान... आखिर क्यों शेयर बाजार में आई इतनी भयंकर गिरावट?

Stock Market Crash: शेयर बाजार के लिए बीता हफ्ता (22 सितंबर से 26 सितंबर तक) अच्छा नहीं रहा. इस दौरान भारतीय शेयर बाजार में तगड़ी गिरावट दर्ज की गई. यह गिरावट इतनी बड़ी थी कि महज 5 दिन में ही निवेशकों के 16 लाख करोड़ रुपये डूब गए. अकेले शुक्रवार को करीब 7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. शुक्रवार को सेंसेक्स 733.22 अंक या 0.90 परसेंट टूटकर 80,426.46 पर बंद हुआ. इसी के साथ बीते एक हफ्ते में इसमें लगभग 2,587 अंकों की गिरावट दर्ज की गई. वहीं, निफ्टी 50 भी 236.15 अंक या 0.95 परसेंट गिरकर 24,654.70 पर बंद हुआ.  शेयर बाजार में क्यों आई गिरावट? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के H-1B वीजा के लिए फीस बढ़ाने से आईटी स्टॉक दबाव में हैं. इसके चलते आईटी शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई. इस वजह से निफ्टी आईटी शुक्रवार को सबसे ज्यादा गिरावट वाला सेक्टर रहा. TCS, HCLTech, इंफोसिस जैसी भारतीय आईटी कंपनियों के शेयरों में शुक्रवार को लगातार छठे सेशन में गिरावट दर्ज की गई. निफ्टी आईटी इंडेक्स 8 परसेंट नीचे रहा. TCS को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.  टीसीएस 52- हफ्ते के निचले स्तर पर आ गया और मार्च 2020 के बाद से यह हफ्ता TCS के लिए सबसे बुरा रहा. आईटी शेयरों में छह दिन की गिरावट से मार्केट कैप को 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है.  ट्रंप ने 1 अक्टूबर से ब्रांडेड और पेटेंट दवाओं के आयात पर 100 परसेंट टैरिफ लगाने की भी घोषणा की है. इसके बाद  सन फार्मा, ल्यूपिन, अरबिंदो फार्मा, ग्लैंड फार्मा, सिप्ला जैसी कई भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों में शुक्रवार को 10 परसेंट तक की गिरावट आई. डर इस बात का भी है कि टैरिफ के दायरे में जेनेरिक दवाई भी लाए जाएंगे, जो इनमें से कई फार्मा कंपनियों के पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा है. वॉकहार्ट, कैप्लिन पॉइंट जैसी छोटी दवा कंपनियों के शेयर 10 परसेंट तक गिर गए, जबकि सन फार्मा के शेयर 52 हफ्तों के निचले स्तर पर आ गए. विदेशी निवेशकों की बिकवाली भी शेयर बाजार में आई इस गिरावट की बड़ी वजह है. शुक्रवार को विदेशी निवेशकों ने 16,057.38 करोड़ के घरेलू शेयर बेच दिए. वहीं, भारतीय निवेशकों ने भी 11,464.79 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले. बीते हफ्ते इंडेक्स में आई 1,000 अंकों की तेजी में सबसे बड़ा योगदान निफ्टी बैंक का रहा. हालांकि, निफ्टी को बैंकिंग इंडेक्स का सपोर्ट कम मिला.निफ्टी बैंक न केवल ऊपर की ओर 55,700 के लेवल को बनाए रखने में विफल रहा, बल्कि नीचे की ओर 55,000 अंक और महत्वपूर्ण 54,500 के सपोर्ट जोन से भी नीचे चला गया, जिससे निफ्टी पर दबाव बढ़ गया.  डॉलर के मुकाबले रुपये में सोमवार से देखी जा रही गिरावट का भी असर शेयर बाजार पर पड़ा. डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 88 के आसपास कारोबार कर रहा है.  अगला हफ्ता बाजार के लिए अहम रहने वाला है. दूसरी तिमाही के कारोबारी अपडेट अगले हफ्ते से आने शुरू हो जाएंगे. 1 अक्टूबर से ऑटो सेक्टर में हुई बिक्री के भी आंकड़े आएंगे. अगले हफ्ते आरबीआई की भी मौद्रि नीति समिति की बैठक होने वाली है, जिसमें रेपो रेट को लेकर अपडेट मिलने की उम्मीद है. 9 अक्टूबर को टीसीएस के तिमाही नतीजों की घोषणा के साथ ही तिमाही नतीजों की शुरुआत होगी. अगला हफ्ता छोटा भी है क्योंकि गुरुवार को छुट्टी है.  ये भी पढ़ें: 2 साल में 188 परसेंट का रिटर्न... अब टाटा ग्रुप की इस कंपनी ने किया स्टॉक स्पिल्ट का ऐलान, जानें रिकॉर्ड डेट

Sep 28, 2025 - 09:41
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5 दिन में 16 लाख करोड़ का नुकसान... आखिर क्यों शेयर बाजार में आई इतनी भयंकर गिरावट?

Stock Market Crash: शेयर बाजार के लिए बीता हफ्ता (22 सितंबर से 26 सितंबर तक) अच्छा नहीं रहा. इस दौरान भारतीय शेयर बाजार में तगड़ी गिरावट दर्ज की गई. यह गिरावट इतनी बड़ी थी कि महज 5 दिन में ही निवेशकों के 16 लाख करोड़ रुपये डूब गए. अकेले शुक्रवार को करीब 7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. शुक्रवार को सेंसेक्स 733.22 अंक या 0.90 परसेंट टूटकर 80,426.46 पर बंद हुआ. इसी के साथ बीते एक हफ्ते में इसमें लगभग 2,587 अंकों की गिरावट दर्ज की गई. वहीं, निफ्टी 50 भी 236.15 अंक या 0.95 परसेंट गिरकर 24,654.70 पर बंद हुआ. 

शेयर बाजार में क्यों आई गिरावट?

  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के H-1B वीजा के लिए फीस बढ़ाने से आईटी स्टॉक दबाव में हैं. इसके चलते आईटी शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई. इस वजह से निफ्टी आईटी शुक्रवार को सबसे ज्यादा गिरावट वाला सेक्टर रहा. TCS, HCLTech, इंफोसिस जैसी भारतीय आईटी कंपनियों के शेयरों में शुक्रवार को लगातार छठे सेशन में गिरावट दर्ज की गई. निफ्टी आईटी इंडेक्स 8 परसेंट नीचे रहा. TCS को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.  टीसीएस 52- हफ्ते के निचले स्तर पर आ गया और मार्च 2020 के बाद से यह हफ्ता TCS के लिए सबसे बुरा रहा. आईटी शेयरों में छह दिन की गिरावट से मार्केट कैप को 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. 
  • ट्रंप ने 1 अक्टूबर से ब्रांडेड और पेटेंट दवाओं के आयात पर 100 परसेंट टैरिफ लगाने की भी घोषणा की है. इसके बाद  सन फार्मा, ल्यूपिन, अरबिंदो फार्मा, ग्लैंड फार्मा, सिप्ला जैसी कई भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों में शुक्रवार को 10 परसेंट तक की गिरावट आई. डर इस बात का भी है कि टैरिफ के दायरे में जेनेरिक दवाई भी लाए जाएंगे, जो इनमें से कई फार्मा कंपनियों के पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा है. वॉकहार्ट, कैप्लिन पॉइंट जैसी छोटी दवा कंपनियों के शेयर 10 परसेंट तक गिर गए, जबकि सन फार्मा के शेयर 52 हफ्तों के निचले स्तर पर आ गए.
  • विदेशी निवेशकों की बिकवाली भी शेयर बाजार में आई इस गिरावट की बड़ी वजह है. शुक्रवार को विदेशी निवेशकों ने 16,057.38 करोड़ के घरेलू शेयर बेच दिए. वहीं, भारतीय निवेशकों ने भी 11,464.79 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले.
  • बीते हफ्ते इंडेक्स में आई 1,000 अंकों की तेजी में सबसे बड़ा योगदान निफ्टी बैंक का रहा. हालांकि, निफ्टी को बैंकिंग इंडेक्स का सपोर्ट कम मिला.निफ्टी बैंक न केवल ऊपर की ओर 55,700 के लेवल को बनाए रखने में विफल रहा, बल्कि नीचे की ओर 55,000 अंक और महत्वपूर्ण 54,500 के सपोर्ट जोन से भी नीचे चला गया, जिससे निफ्टी पर दबाव बढ़ गया. 
  • डॉलर के मुकाबले रुपये में सोमवार से देखी जा रही गिरावट का भी असर शेयर बाजार पर पड़ा. डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 88 के आसपास कारोबार कर रहा है. 
  • अगला हफ्ता बाजार के लिए अहम रहने वाला है. दूसरी तिमाही के कारोबारी अपडेट अगले हफ्ते से आने शुरू हो जाएंगे. 1 अक्टूबर से ऑटो सेक्टर में हुई बिक्री के भी आंकड़े आएंगे. अगले हफ्ते आरबीआई की भी मौद्रि नीति समिति की बैठक होने वाली है, जिसमें रेपो रेट को लेकर अपडेट मिलने की उम्मीद है. 9 अक्टूबर को टीसीएस के तिमाही नतीजों की घोषणा के साथ ही तिमाही नतीजों की शुरुआत होगी. अगला हफ्ता छोटा भी है क्योंकि गुरुवार को छुट्टी है. 

ये भी पढ़ें:

2 साल में 188 परसेंट का रिटर्न... अब टाटा ग्रुप की इस कंपनी ने किया स्टॉक स्पिल्ट का ऐलान, जानें रिकॉर्ड डेट

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